Saturday, March 26, 2011

मेरी साधना- 6

मैंने उस अमर राग में प्रसारित सन्देश को बौद्धिक कसौटी पर कसा | व्यभिचारिणी बुद्धि ने अंग-प्रत्यांग प्रदर्शनों से मुझे भ्रमित किया | उसकी विवध भाव-भंगी और धूर्त चेष्टाएँ मेरी आत्मा की संकल्पात्मक स्थिरता को चलायमान करने में फलीभूत हुई | मै उस मोहिनी बुद्धि के पीछे खूब दौड़ा ; - उसके आदेशों का यथाविधि पालन किया पर प्राप्त हुई -
"केवल अपूर्णता की |"

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